स्वच्छता के नायकों का सम्मान: विवेकानंद पार्क में ‘मन की बात’ संग सफाई योद्धाओं को सलामी
भोपाल, 28 जुलाई। स्वच्छता और जनभागीदारी के संगम का अनूठा दृश्य रविवार को विवेकानंद विचार वीथिका पार्क में देखने को मिला, जब अशोका जन कल्याण विकास समिति द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रम में महापौर श्रीमती मालती राय और पार्षदों ने स्थानीय सफाई कर्मियों संग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ सुनी और उनके कार्यों की सराहना की।
कार्यक्रम में वार्ड 69 के पार्षद श्री सूर्यकांत गुप्ता, वार्ड 7 के पार्षद दुर्गेश महेश्वरी, समिति सदस्य एवं बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारी उपस्थित रहे। ‘मन की बात’ कार्यक्रम के बाद महापौर महोदया ने सफाईकर्मियों का पुष्पमालाओं और प्रशस्तिपत्रों से सम्मान किया।
यह सम्मान उस अथक परिश्रम की सार्वजनिक स्वीकृति है जिसके चलते भोपाल ने वर्ष 2023 एवं 2024 के स्वच्छता सर्वेक्षण में निरंतर श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है और 2024 में देशभर में दूसरा स्थान प्राप्त किया। अब लक्ष्य है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 में भोपाल नंबर वन बने – और यह तभी संभव होगा जब शहर के ‘स्वच्छता सैनिक’ निरंतर प्रेरित और समर्थित बने रहें।
समिति द्वारा 75 स्वच्छता कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर महापौर श्रीमती मालती राय ने कहा:
“स्वच्छता सिर्फ नगर निगम की ज़िम्मेदारी नहीं, यह हम सभी की साझी ज़िम्मेदारी है। ये सफाई कर्मचारी हमारे शहर के सच्चे नायक हैं, जिनके कारण भोपाल स्वच्छता की प्रतिस्पर्धा में आगे है।”
समिति अध्यक्ष ठाकुर लाल राजपूत ने कार्यक्रम में सुझाव दिया कि विवेकानंद विचार वीथिका पार्क के सामने स्थित प्रमुख चौराहे का नाम ‘विवेकानंद चौराहा’ रखा जाए, जिस पर कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग और महापौर महोदया ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। श्री राजपूत ने इस सहयोग के लिए दोनों जनप्रतिनिधियों का आभार भी व्यक्त किया।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां:
-
‘मन की बात’ के सार्वजनिक श्रवण में नागरिकों की भागीदारी
-
स्वच्छता कर्मियों का महापौर के हाथों सम्मान
-
समिति की सक्रिय भूमिका से जनसहभागिता का उदाहरण
-
स्वच्छता सर्वेक्षण 2025 के लिए उत्साहवर्धन
-
विवेकानंद चौराहा नामकरण का प्रस्ताव
ज्ञात हो कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में भोपाल ने देश के 5000 से अधिक शहरों में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। इसके पीछे स्वच्छता कर्मियों, जागरूक नागरिकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मिलीजुली मेहनत थी। ऐसे में इस सम्मान समारोह को एक नैतिक संबल के रूप में देखा जा रहा है, जो स्वच्छता सेनानियों को आगामी सर्वेक्षण में और अधिक समर्पण के साथ कार्य करने की प्रेरणा देगा।