उज्जैन मंदिर में अश्लील पहनावे पर पोस्टर लगने से मचा विवाद, मां-बाप पर लगाया जिम्मेदार का ठप्पा
उज्जैन
धार्मिक नगरी उज्जैन में अधिकांश मंदिरों में सनातनी ड्रेस पहनने को लेकर जोर दिया जा रहा है. कई मंदिरों में ड्रेस कोड का पालन करने के लिए पोस्टर व बैनर लगाए जा चुके हैं. इन पोस्टर में सनातनी ड्रेस व मंदिर में दर्शन करने की गाइडलाइन लिखी है. इसके साथ ही मंदिर के पुजारी भी यहां आने वालों भक्तों के लिए सनातनी ड्रेस पहनकर ही आने का आग्रह कर रहे हैं. इन दिनों ऐसा ही एक पोस्टर उज्जैन मे चर्चा का विषय बना हुआ है.
दरसल पूरा मामला उज्जैन जिले के नागदा के बिड़ला गांव में स्थित बड़े गणेश मंदिर का है यहा मंदिर मे एक पोस्टर लगाया गया है, जिसमें लड़कियों के पहनावे को लेकर पांच सवाल पूछे गए हैं. इस पोस्टर को लेकर तरह-तरह के लोगों के मन मे विचार आ रहेगा है. इतना ही नही अब पोस्टर पढ़ने के बाद अखिल भारतीय पुजारी महासंघ व मंदिर मे आने वाले हर श्रद्धांलु इस पोस्टर का समर्थन कर रहे है.
भगवान भरोसे लगा पोस्टर
जैसे ही इस पोस्टर को लोगों नें मंदिर मे देखा तो उन्होंने पुजारी से और पुजारी नें श्रद्धांलुओ से पूछा, लेकिन यह पोस्टर किसने और कब लगाया, इस बारे में मंदिर समिति या स्थानीय प्रशासन को कोई जानकारी नहीं है, लेकिन इसने क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म दे दिया है. पोस्टर में माता-पिता को लक्षित करते हुए कहा गया है कि लड़कियों के अमर्यादित पहनावे के लिए मां जिम्मेदार है, जबकि पिता की मौन स्वीकृति को भी कटघरे में खड़ा किया गया है. इसके साथ ही अर्धनग्न कपड़े पहनने वाली लड़कियों को ”मॉडर्न, स्मार्ट, स्टैंडर्ड और आधुनिक” मानने वाली सोच पर तंज कसा गया है. साथ ही पोस्टर में अंत में जनजागरण समिति का उल्लेख किया गया है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि यह किसी सामाजिक संगठन की पहल हो सकती है. हालांकि, अब तक किसी संस्था ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है.
पुजारी महासंघ व श्रद्धांलु कर रहे समर्थन
पोस्टर का अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने समर्थन किया है. पुजारी महासंघ के अध्यक्ष और महाकाल मंदिर के वरिष्ठ पुजारी महेश शर्मा का कहना है कि मंदिर एक आस्था और मर्यादा का स्थान है. यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं, विशेषकर युवतियों को शालीनता का ध्यान रखना चाहिए खासकर मंदिर में प्रवेश करते समय. दक्षिण के मंदिरों में यह व्यवस्था पहले से लागू है और महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भी ड्रेस कोड लागू है. इतना ही नही मंदिर मे आने वाले श्रद्धांलु भी इस बाट का समर्थन कर रहे है.
बोर्ड पर 5 प्वाइंट्स में यह सवाल
1. क्या टीवी शो, फिल्मों को देख अपनी नासमझ से छोटी बेटियों (4, 6, 8 वर्ष से अधिक) की अमर्यादित ड्रेस पसंद कर फूहड़ एवं अश्लील पहनावे का बीज बोने वाली माता हैं?
2. क्या अपनी 10 वर्ष से अधिक उम्र की बेटियों को फूहड़, अमर्यादित, एकदम टाइट एवं छोटे-छोटे कपड़े पहनने पर मौन रहने वाला पिता है?
3. क्या छोटे, कम एवं अर्ध नग्न ड्रेस पहनने वाली लड़की को मॉडर्न, स्मार्ट, स्टैंडर्ड एवं आधुनिक समझने वाली सोच है?
4. अपनी बेटियों को विचारों की आजादी दीजिए अमर्यादित, अश्लील पहनावे की नहीं।
5. शालीन एवं मर्यादित कपड़े आपकी बेटी का सुरक्षा कवच हैं।