10 साल में प्रदेश के 69 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज बंद, भोपाल और इंदौर सबसे आगे
इंदौर
प्रदेश में छात्रों का निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रति रुझान कम हो गया है। एक दशक पहले इंजीनियरिंग कॉलेजों की बाढ़ आ गई थी। लेकिन विद्यार्थियों के ज्यादा रुचि नहीं दिखाने के कारण अब संया लगातार घटती जा रही है। पिछले 10 साल में प्रदेश में 69 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो चुके हैं। इसके साथ सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में जहां 90 फीसदी तक सीटों पर प्रवेश हो रहे हैं वहीं निजी कॉलेजों में केवल 45 से 55 फीसदी प्रवेश हो पा रहे हैं। बंद होने वाले कॉलेजों में सबसे ज्यादा 24 भोपाल के हैं। जानकार इसके पीछे वर्तमान परिदृश्य से कदमताल नहीं मिला पाने को बड़ा कारण मान रहे हैं।
2015-16 में 203 इंजीनियरिंग कॉलेज थे, 2024-25 में 69 बंद
वर्ष 2015-16 में मध्यप्रदेश में 203 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज थे। जबकि वर्ष 2024-25 तक इनमें से 69 कॉलेज बंद हो चुके हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार भोपाल के 24, इंदौर के 16, ग्वालियर के 12 और जबलपुर के 6 कॉलेज बंद हुए हैं, शेष अन्य जिलों के हैं। कुछ कॉलेज मापदंडों पर खरे नहीं उतरने के चलते मान्यता हासिल नहीं कर पाए तो कुछ कॉलेजों में सुविधाएं नहीं होने के कारण प्रवेशार्थियों ने रुचि नहीं दिखाई। विधानसभा में विधायक अजय सिंह के प्रश्न के लिखित जवाब में तकनीकी शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने यह जानकारी दी है। मंत्री ने बताया कि देश एवं प्रदेश स्तर पर छात्रों का अन्य पाठ्यक्रमों में रूझान होने के कारण इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या कम हुई है।
इस साल 46 फीसद सीटें रही खाली
निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश की स्थिति देखें तो वर्ष 2015-16 में निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 81 हजार 162 सीटें उपलब्ध थी, जबकि प्रवेश 39 हजार 906 हुए थे। वहीं वर्ष 2024-25 निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में डिग्री पाठ्यक्रम की 64 हजार 206 उपलब्ध सीटों में से 35 हजार 64 प्रवेश हुए। यह महज 54 प्रतिशत हैं, यानी 46 प्रतिशत निजी कॉलेजों की सीटें खाली ही रहीं।
निजी कॉलेजों में प्रवेश की स्थिति
शैक्षणिक वर्ष – प्रवेश क्षमता – प्रवेशित संख्या
2015-16 – 81162 – 39906
2016-17 – 73515 – 31272
2017-18 – 65673 – 26442
2018-19 – 55605 – 23755
2019-20 – 50704 – 24871
2020-21 9308 – 25510
2021-22 – 47520 – 28534
2022-23 – 58535 – 31659
2023-24 – 60754 – 33334
2024-25 – 64206 – 35064
(स्रोत: तकनीकी शिक्षा मंत्री द्वारा विधानसभा में दी गई जानकारी)
प्रवेश घटने के यह हैं कारण
मौजूदा औद्योगिक मांग के अनुरूप पाठ्यक्रम शुरू नहीं हो पाना।
निजी कॉलेजों में छात्रों के लिए प्रेक्टिकल के लिए जरूरी उपकरणों का अभाव।
निजी कॉलेजों में अच्छे क्वालिफाइड शिक्षकों का नहीं होना।
एक ही शिक्षक का कई कॉलेजों में सेवाएं देना।
कॉलेजों में पुराने पाठ्यक्रम चल रहे, नई तकनीकें नहीं जुड़ पाईं और न इन्हें पढ़ाने वाले हैं।
कॉलेजों में जॉब पाने के लिए जरूरी स्किल नहीं सिखाए जा रहे।
अधिकांश कॉलेजों में शोध एवं नवाचारों की सुविधाएं नहीं होना।
मध्य प्रदेश में इंजीनियरिंग का क्रेज कम नहीं हुआ है, बल्कि छात्र निजी कॉलेजों की जगह सरकारी को ज्यादा महत्त्व दे रहे हैं। निजी स्कूलों में प्रवेश जहां 50-60 फीसद तक रहा तो सरकारी में 90 प्रतिशत सीटों में विद्यार्थियों ने दाखिला लिया। हालांकि कुछ इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी सीटें इसके बावजूद अधिक खाली रहीं।
प्रदेश में इंजीनियर बनने का रुझान कम, 40 हजार सीटों पर नहीं हुई दाखिले
वक्त कितनी जल्दी बदलता है, एमपी के इंजीनियर कॉलेजों का नजारा यह साफ बता देता है। कुछ साल पहले तक जहां कभी पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी वे केंपस अब सुनसान पड़े हैं। कॉलेजों में एडमिशन के लिए जबर्दस्त मारामारी रहती थी, स्टूडेंट और उनके अभिभावक इसके लिए लाखों रुपए खर्च करने के लिए तैयार रहते थे। अब हाल ये हैं कि कोई इंजीनियर नहीं बनना चाहता, प्रदेश में इंजीनियरिंग कॉलेजों की हजारों सीटें खाली पड़ी हैं। कई प्राइवेट कॉलेजों के बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। खाली पड़ी सीटों को भरने के लिए हर जतन किए जा रहे हैं।
प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए मंगलवार को एक और कवायद प्रारंभ की गई। यहां कॉलेज लेवल काउंसलिंग (CLC) सीएलसी की जा रही है। पहली CLC सीएलसी के लिए रजिस्ट्रेशन के बाद 14 अगस्त तक अंतिम चरण की प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी।
युवाओं का मोहभंग हुआ
एमपी में इंजीनियरिंग कोर्स से युवाओं का किस हद तक मोहभंग हुआ है इसे आंकड़ों से समझा जा सकता है। कॉलेजों में प्रवेश के लिए इससे पहले दो चरणों की काउंसलिंग हो चुकी है तब भी ज्यादातर सीटें खाली हैं। हाल ये है कि कुल 73412 सीटों में से करीब 40 हजार सीटें खाली हैं। प्रदेशभर में इंजीनियरिंग कॉलेजों में अभी तक महज 32743 सीटें ही भर सकी हैं।
स्टूडेंट के अभाव में कई इंजीनियरिंग कॉलेजों का संचालन मुश्किल
एमपी में कुल 124 इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए दो चरणों की काउंसलिंग हो चुकी है। इनमें प्रवेश के लिए अब तीसरे चरण की काउंसलिंग शुरु की गई है। पर्याप्त स्टूडेंट के अभाव में राज्य के कई इंजीनियरिंग कॉलेजों का संचालन मुश्किल हो रहा है।