कर प्रणाली सुधार की दिशा में राष्ट्रीय मंथन : विशेषज्ञों ने फेसलेस टैक्स सिस्टम व जीएसटी नोटिसों पर उठाए अहम सवाल
विवेक झा, भोपाल। राजधानी के एमपी नगर स्थित होटल लेमन ट्री में रविवार को एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल एंड टैक्सपेयर (नेशनल फोरम) और भोपाल टैक्स प्रैक्टिशनर एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में “राष्ट्रीय कर सेमिनार” का आयोजन किया गया। सेमिनार में दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश सहित देशभर के करीब 200 कर सलाहकार, एडवोकेट, सीए और उद्योग प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
मुख्य अतिथि, मप्र सरकार के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि आमजन टैक्स कानूनों की बारीकियों को नहीं समझ पाते, ऐसे में कर सलाहकारों की यह मंथन बैठक सिस्टम को बेहतर और जनहितकारी बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि अधिक राजस्व प्राप्ति के लिए नियमों का पालन सहज और सुगम बनाना होगा।
कानूनी प्रावधानों पर बेबाक चर्चा
दिल्ली से आए सुप्रीम कोर्ट के प्रैक्टिसनर एडवोकेट कपिल गोयल ने संविधान के अनुच्छेद 265 का उल्लेख करते हुए कहा कि बिना विधिक अधिकार के कोई भी टैक्स नहीं वसूला जा सकता। उन्होंने अमित ट्रेडर्स Vs उत्तरप्रदेश शासन फैसले को उद्धृत करते हुए फेसलेस टैक्स सिस्टम को “माइंडलेस” कहा और कहा कि “हर आदेश में टैक्सपेयर के जवाब का उल्लेख होना चाहिए, समरी ऑर्डर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है।”
जयपुर से पहुंचे एडवोकेट जतिन हरजाई ने जीएसटी सेक्शन 74 व 129 के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए कहा कि “शो कॉज नोटिस में आरोप स्पष्ट हों, अन्यथा उसका उत्तर देना जरूरी नहीं है।” उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देकर कहा कि नोटिस के साथ MOV-7 के साथ DRC-01 देना अनिवार्य है। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि किसी गवाह के बयान के आधार पर करदाता के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है तो करदाता को क्रॉस एग्जामिनेशन अर्थात जिरह का अवसर देना जरूरी है।
सिस्टम सुधार की रखी मांग
सेमिनार में उपस्थित विशेषज्ञों ने कहा कि फेसलेस टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता हो, आदेश की भाषा सरल हो तथा टेक्नोलॉजी का उपयोग टैक्सपेयर को सुविधा देने का माध्यम बने, भय पैदा करने का नहीं। कर सलाहकारों ने सुझाव दिया कि टैक्स नोटिस, ऑर्डर और अपील की प्रोसेस को कम समयबद्ध, तर्कसंगत और न्यायसंगत बनाया जाए। साथ ही टैक्सपेयर्स और प्रोफेशनल्स को प्रशिक्षण और संवाद के अधिक अवसर दिए जाएं।
प्रमुख प्रतिभागी एवं पदाधिकारी रहे उपस्थित
कार्यक्रम में एसोसिएशन ऑफ टैक्सपेयर एंड प्रोफेशनल (नेशनल फोरम) के महासचिव पराग सिंघल, उपाध्यक्ष संतोष गुप्ता, मप्र चैप्टर अध्यक्ष राजेश्वर दयाल, महासचिव रविंद्र खरे, उपाध्यक्ष प्रतीक अग्रवाल, गोविंद शरण, सह सचिव संजीव श्रीवास्तव, प्रवक्ता धीरज अग्रवाल, टैक्स लॉ बार एसोसिएशन भोपाल अध्यक्ष मृदुल आर्य, बीटीपीए अध्यक्ष संतोष शाक्य, सचिव नीलेश कुशवाह, कार्यक्रम संयोजक अंकुर अग्रवाल और हरि सिंह वर्मा सहित समस्त कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित थे।
कार्यक्रम के अंत में वक्ताओं ने आशा व्यक्त की कि इस तरह के संवाद से ना केवल करदाताओं के अधिकारों की रक्षा होगी बल्कि कर प्रशासन और करदाताओं के बीच भरोसे की नई नींव स्थापित होगी। मंच से सरकार को यह संदेश भी गया कि कर सुधारों में “सहजता, पारदर्शिता और न्याय” को प्राथमिकता दिए बिना ईज ऑफ डूइंग बिजनेस संभव नहीं है।