जस्टिस वर्मा महाभियोग: लोकसभा में 152 MPs ने प्रस्ताव पर साइन किए- विधि मंत्रालय
नई दिल्ली
कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ संसद में महाभियोग चलाने की कार्यवाही शुरू हो गई है. हाई कोर्ट के जज वर्मा अपने आवास पर बेहिसाब नकदी मिलने के बाद कदाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं. संसद के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा के 145 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए. वहीं, राज्यसभा में 54 सांसदों ने हाई कोर्ट जज वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन किया.
सरकारी आवास में अधजला कैश मिलने के मामले में मुश्किलों का सामना कर रहे जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें और बढ़ती जा रही हैं, आज मानसून सत्र के पहले ही दिन सांसदों ने इस पर हंगामा किया और जस्टिस वर्मा पर कार्यवाही की मांग की, सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए एक ज्ञापन लोकसभा स्पीकर को सौंप दिया, बताया जा रहा है कि इस ज्ञापन पर भाजपा और विपक्षी दलों के करीब 150 सांसदों ने हस्ताक्षर किये हैं ।
संसद के पहले दिन की कार्यवाही आज हंगामेदार रही , विपक्ष ने अपनी बात रखनी चाही उधर लोकसभा स्पीकर ने नियमों का हवाला देते हुए तय बिन्दुओं पर ही चर्चा की समझाइश दी जिसपर विपक्ष ने हंगामा किया, इस दौरान सदन की कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा।
ज्ञापन पर सभी दलों के करीब 150 सांसदों के हस्ताक्षर!
उधर जस्टिस वर्मा को हटाने के मामले में सभी सांसद एकमत दिखाई दिए, उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया गया जिसपर भाजपा, कांग्रेस सहित कई कई दलों के सांसदों ने हस्ताक्षर किये, दस्तखत करने वाले सांसदों की संख्या 150 के करीब बताई जा रही है।
कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ चलेगा महाभियोग, 207 सांसदों ने प्रस्ताव का किया समर्थन
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ को सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन सौंपे जाने के बाद जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए आगे की कार्यवाही शुरू हो गई है. संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत दायर इस महाभियोग प्रस्ताव को भाजपा, कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, सीपीएम सहित विभिन्न दलों के सांसदों का समर्थन प्राप्त हुआ. प्रस्ताव पर अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, राजीव प्रताप रूडी, सुप्रिया सुले, केसी वेणुगोपाल और पीपी चौधरी जैसे सांसदों में हस्ताक्षर किए.
उच्च सदन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने की मांग वाला एक प्रस्ताव मिला है, जिस पर 50 से अधिक राज्यसभा सांसदों के हस्ताक्षर हैं. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हाई कोर्ट जज को पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए जरूरी संख्या से ज्यादा सांसदों का नोटिस मिला है. उन्होंने कहा कि अगर एक सदन में प्रस्ताव आए तो प्रीसाइडिंग ऑफिसर के पास यह अधिकार होता है कि वह उसे स्वीकार करे या खारिज कर दे. लेकिन अगर दोनों सदनों में एक ही दिन मोशन आता है, तो यह सदन की प्रॉपर्टी हो जाता है.
संसद के दोनों सदनों में प्रस्ताव को पर्याप्त समर्थन
राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश, हाई कोर्ट के एक चीफ जस्टिस और एक सदस्य को लेकर तीन सदस्यीय कमेटी बनाई जाती है. इस कमेटी की रिपोर्ट के बाद स्पीकर या चेयरमैन मोशन पर फैसला ले सकते हैं. सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्य सभा के सेक्रेटरी जनरल से इस बात की पुष्टि करने के लिए कहा कि क्या यह मोशन लोकसभा में भी आया है. इस पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि लोक सभा में भी सदस्यों ने स्पीकर को मोशन सौंपा है.
इसकी पुष्टि होने के बाद राज्य सभा के सभापति ने सेक्रेटरी जनरल को महाभियोग प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया. धनखड़ ने यह भी कहा कि उन्हें मिले मोशन पर 55 हस्ताक्षर हैं, लेकिन हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों की संख्या 54 ही है. हम इस बात की पुष्टि करेंगे कि किस सदस्य ने दो बार हस्ताक्षर किए हैं. उस सदस्य का दूसरा हस्ताक्षर अमान्य कर दिया जाएगा. संविधान के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को हटाने के लिए राष्ट्रपति के आदेश के बाद, कम से कम 100 लोकसभा या 50 राज्यसभा सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव पारित होना आवश्यक है. प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए या नहीं, इसका निर्णय अध्यक्ष या सभापति करते हैं.
जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से मिले थे जले नोट
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कदाचार के आरोप तब लगे जब 15 मार्च को उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास में लगी आग के बाद बड़ी संख्या में जले हुए नोट बरामद हुए. तब वह दिल्ली हाई कोर्ट में जज थे. कैश कांड में घिरने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया था. उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश होने के साथ ही अब संसद इस मामले की जांच करेगी. जज वर्मा ने किसी भी तरह के कदाचार में संलिप्त होने से इनकार किया है.
सुप्रीम कोर्ट के जांच पैनल ने मामले को गंभीर माना
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय जांच पैनल ने पाया कि जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास के जिस स्टोर रूम में जले हुए नोट मिले थे, उस पर उनका और उनके परिवार का सक्रिय नियंत्रण था. पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि यह कदाचार इतना गंभीर था कि उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए. जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उनका तर्क है कि जांच समिति महत्वपूर्ण तथ्यों की जांच करने में विफल रही और एक व्यक्ति और एक संवैधानिक पदाधिकारी के रूप में उनके अधिकारों का उल्लंघन किया. इस प्रकरण ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर व्यापक चिंताएं पैदा कर दी हैं.
महाभियोग चलाने लोकसभा स्पीकर को सौंपा ज्ञापन
महाभियोग चलाने के प्रस्ताव वाला एक ज्ञापन सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंपा। यह प्रस्ताव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत दायर किया गया है। प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के अलावा भाजपा सांसद अनुराग सिंह ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूड़ी के अलावा पीपी चौधरी, सुप्रिया सुले और केसी वेणुगोपाल आदि के नाम बताये जा रहे हैं।
बता दें कि जस्टिस वर्मा के अपने आवास पर जले हुए कैश के बंडल बरामद होने के बाद मामला संज्ञान में आया था और तब से ही जस्टिस वर्मा की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। 21 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र में महाभियोग लाने के सवाल पर रिजिजू ने कहा कि यह सिर्फ सरकार का कदम नहीं है। सभी दल इस पर मिलकर फैसला करेंगे।
21 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र
किरेन रिजिजू ने कहा कि जब तक यह अध्यक्ष की मंजूरी से बिजनेस एडवाइजरी कमेटी द्वारा पारित नहीं हो जाता, तब तक इस पर किसी भी तरह की टिप्पणी करना सही नहीं है। बता दें कि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा।
रविवार को केंद्र सरकार ने मानसून सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में कांग्रेस सांसद के. सुरेश और जयराम रमेश, शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, एनसीपी-एससीपी सांसद सुप्रिया सुले, भाजपा सांसद रवि किशन और अन्य नेता शामिल थे।
बैठक में सपा, वाईएसआर कांग्रेस, जेडीयू, अन्ना द्रमुक, सीपीआईएम और डीएमके के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला संसद सत्र होगा। इस सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा किए जाने की उम्मीद है। विपक्ष लंबे समय से ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग कर रहा है।