ऑनलाइन बेटिंग ऐप केस: ED ने गूगल-मेटा को फिर भेजा समन, 28 जुलाई को पेशी
नई दिल्ली
भारत में टेक्नोलॉजी कंपनियों और कानून विभाग दोनों के बीच टकराव की स्थिति बनती दिख रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दुनिया की दो सबसे बड़ी टेक कंपनियों Google और Facebook की पेरेंट कंपनी Meta को समन भेजा है। यह समन भारत में तेजी से फैल रहे अवैध ऑनलाइन सट्टा ऐप्स को प्रमोट और एडवर्टाइज करने के मामले में भेजा गया है।
ED की मानें तो Google और Meta ने ऐसे कई ऑनलाइन सट्टा प्लेटफॉर्म्स के विज्ञापन पब्लिश किए और एल्गोरिदम के जरिए उन्हें प्रमोट किया, जिससे उनका एडवर्टाइजमेंट और यूजेस दोनों तेजी से बढ़े। इस तरह के ऐप्स को बढ़ावा देना Prevention of Money Laundering Act (PMLA) के अंतर्गत एक गंभीर अपराध माना जा रहा है। जांच एजेंसी का मानना है कि इन कंपनियों ने सट्टा ऐप्स से एडवर्टाइजमेंट रेवन्यू भी जेनरेट किया है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिला।
कब और कहां होनी है पूछताछ?
Google और Meta के सीनियर अधिकारियों को 21 जुलाई, 2025 को दिल्ली स्थित ED के मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है। उनसे पूछताछ के दौरान यह जानने की कोशिश की जाएगी कि क्या इन कंपनियों को अवैध सट्टा ऐप्स की गतिविधियों की जानकारी थी और क्या उन्होंने जानबूझकर उनके साथ व्यावसायिक संबंध बनाए।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब ED ने सट्टा या ड्रग रैकेट्स से जुड़ी टेक्नोलॉजी या मीडिया फिगर्स पर शिकंजा कसा हो। इससे पहले प्रकाश राज, राणा दग्गुबाती और विजय देवरकोंडा जैसे फिल्म स्टार्स को भी इसी तरह की जांच के लिए बुलाया गया था। अब जांच का दायरा बढ़कर टेक कंपनियों तक पहुंच गया है।
सरकार की गाइडलाइंस की अनदेखी?
भारत सरकार की ओर से 2022 में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देश जारी किया था कि वे सट्टा और जुए से जुड़े ऐप्स के विज्ञापन ना दिखाएं। इसके बावजूद इन प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे कई विज्ञापन लगातार देखने को मिले, जिनमें स्किल बेस्ड गेमिंग के नाम पर सट्टे से गतिविधियों को प्रमोट किया गया।
इस मामले में अब आगे क्या होगा?
ED इन कंपनियों के विज्ञापन डाटा, पेमेंट ट्रांजैक्शन्स और एल्गोरिदमिक प्रिफरेंसेज की गहराई से जांच करेगी। अगर यह पाया गया कि इन कंपनियों ने सट्टा प्लेटफॉर्म्स से पैसा लेकर उन्हें प्रमोट किया, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। यह मामला ना सिर्फ भारत में बल्कि ग्लोबल मार्केट में भी टेक कंपनियों की जवाबदेही और जिम्मेदारियों को लेकर बहस शुरू कर सकता है।