निजीकरण-विदेशीकरण के खिलाफ बैंकों की हुंकार — भोपाल में सैकड़ों बैंककर्मियों का जोरदार प्रदर्शन
विवेक झा, भोपाल, 11 अगस्त 2025।
बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई, आईडीबीआई बैंक की निजी हाथों में बिक्री और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में पूंजी विनिवेश के खिलाफ देशभर में सोमवार को बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। यह विरोध प्रदर्शन ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया सहित वित्तीय संस्थानों की अन्य ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर किया गया।
राजधानी भोपाल में शाम 5:15 बजे विभिन्न बैंकों के सैकड़ों कर्मचारी और अधिकारी इंदिरा प्रेस कॉम्प्लेक्स स्थित पंजाब नैशनल बैंक की आईपीसी शाखा के सामने एकत्र हुए और अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार नारे लगाए। इसके बाद हुई सभा में बैंक यूनियन नेताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों को जनता और देश के आर्थिक हितों के खिलाफ बताया।
सरकार पर विदेशीकरण का आरोप
सभा को संबोधित करते हुए वी. के. शर्मा, दीपक रत्न शर्मा, भगवान स्वरूप कुशवाहा, नजीर कुरैशी, जे. पी. झवर, गुणशेखरन, देवेंद्र खरे, विशाल धमेजा, अशोक पंचोली, सत्येंद्र चौरसिया, राजीव उपाध्याय, कैलाश माखीजानी, के. वासुदेव सिंह, वैभव गुप्ता, अनंत खरे, विशाल जैन, रामकुमार साहू, अनिल जैन समेत कई नेताओं ने कहा कि एक ओर सरकार “स्वदेशी” के नारे लगा रही है, वहीं दूसरी ओर बीमा और बैंकिंग क्षेत्र का विदेशीकरण कर रही है।
नेताओं ने बताया कि वर्तमान में आईडीबीआई बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी के पास 94% पूंजी है, जिसमें से एलआईसी की 61% इक्विटी निजी कॉर्पोरेट निवेशकों को बेचने का प्रस्ताव है। इसी प्रकार, अभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की पूरी पूंजी केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा लगाई जाती है, पर अब सरकार ने इसमें निजी निवेश की अनुमति देने का फैसला लिया है।
आईडीबीआई बैंक की हड़ताल को समर्थन
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि आज आईडीबीआई बैंक के कर्मचारी और अधिकारी, बैंक को निजी हाथों में सौंपने के प्रस्ताव के विरोध में अखिल भारतीय हड़ताल पर हैं। उन्होंने हड़ताल का समर्थन करते हुए सरकार को चेतावनी दी कि यदि निजीकरण और विदेशीकरण की नीतियों को तुरंत नहीं रोका गया तो देशभर में और बड़े पैमाने पर धरना, प्रदर्शन और हड़तालें होंगी।
वृहद उपस्थिति
इस मौके पर वी. के. शर्मा, दीपक रत्न शर्मा, भगवान स्वरूप कुशवाहा, अनंत खरे, विशाल जैन,जे पी झवर, नजीर कुरेशी, गुणशेखरन,जे पी दुबे,अशोक पंचोली,सत्येंद्र चौरसिया, देवेंद्र खरे, विशाल धमेजा,राजीव उपाध्याय, एस के घोटनकर,अमित गुप्ता, अजय धारीवाल,कैलाश माखीजानी, वैभव गुप्ता, सनी शर्मा, सतीश चौबे, हरीश अग्रवाल,लीला किशन कुशवाहा, राजेश इंग्ले,शिवानी शर्मा,दिव्या त्रिवेदी, रेनू मलकानी, राजेश्वरी ,दीपा आडवाणी, पुजिता यादव, नेहा जैन ,नीतू धमेजा, मनीषा मंगरानी,रिचा सक्सैना, कमलेश बरमैया, जीत सिंह नागर, अभिषेक सिंह, विजयपाल, दिलीप मोटवानी, अवध वर्मा, प्रदीप कटारिया, कृष्णा पांडे, संदीप दलवी, अनिल जैन, राज भारती, मंगेश दवांदे, मनोज चतुर्वेदी, के बासुदेव सिंह, जी डी पराशर अनिल यादव, विजय चोपड़े, मनीष यादव, रवि वाधवानी, विनोद डिंगलानी, डी के सिंह, संजय धान, शैलेंद्र नरवरे, इमरत मुन्ना रायकवार, मोहन कल्याणे, सुदेश कल्याणे, कैलाश पतकी,योगेश मनुजा, आर के निगम, अनुपम त्रिवेदी, रामकुमार साहू, शाहिद खान, अमित प्रजापति,बी एल पुष्पद,विनय नेमा,आर एस हथिया, उमेश शाक्या, किशोर सिंह, रोहित सुरेश सहित बड़ी संख्या में बैंक कर्मी मौजूद थे।
नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन केवल बैंक कर्मियों का नहीं, बल्कि देश के आर्थिक स्वाभिमान और जनता की संपत्ति बचाने का संघर्ष है।